जीवन - चलता रही
किसी ने सच ही कहा है,
जब कष्ट, पीड़ा, पछतावा होगा तब बचपन याद आएगा।
जब पूछने वाला कोई नहीं रहेगा तब खुद का ख्याल रखना शुरू कर दोगे।
जब दुनिया की सच्चाई से आंख खुलेगी तो कमाना शुरू करोगे।
जब सब धोखा देंगे तब तुम या तो भरोसा बनोगे या फिर लोगों से आईने की भांति व्यवहार करोगे।
जब विज्ञान और आविष्कार का दिमग तुमको काट खाएगा, तब मोह माया के लालच से दूर होना शुरू करोगे।
जब भूत-प्रेतों से डर खत्म हो जाएगा तब लोगों से डर लगेगा।
जब किसी से पहली बार नजर में प्यार होगा और वह किसी और की हो चुकी होगी, तब योग्यता प्राप्त करने की स्पर्धा में भाग लोगे, जो आपको संसार के झमेले में खींच लेगा।
जब माता-पिता से बात ना कर पाए तो वो एक सच्चा मित्र आपका साथ देगा बाकी विश्वासघात और अपमान देंगे।
जब दुनिया आपको हंसाएगी तो हंसना और मुस्कुराना। जब दुनिया आपको रुलाएगी तो भी हंसना और मुस्कुराना।
क्योंकि आंख से निकले आंसू और पीड़ा को लोग आपकी अच्छी नीव, सच्चा व्यवहार, संस्कार और आपके आचरण बदलने का मार्ग बनाएंगे और आपको भी अपने पाप का भागीदार बनाएंगे।
दर्द बांटना है तो माता-पिता या उस सच्चे मित्र के पास जाओ।
क्योंकि वो आंसू रोकेंगे नहीं बल्कि आपके साथ उस बुरे वक्त में आपका साथ देंगे और गलतियां सुधारने में सहायता करेंगे।
वक्त से कभी मत लड़ना दोस्त क्योंकि वह कभी किसी भगवान का ना हुआ तो हमारा क्या होगा।
और परिश्रम से मत डरना दोस्त क्योंकि उसने कितनों के अच्छे और बुरे वक्त को पछाड़ दिया।
डर के कितना जीना एक जिंदगी है कर-सो-मन-चाहे।
आकर्षक, लोभ, लालसा, कामवासना, इर्षा और क्रोध ही इस दुनिया के पाप है और हम उनके अधीन।
सही तरह और सही कामों में यह सब हो तो सब सही वरना गलत जब लगाओगे गलत में तो गलत।
श्री कृष्ण कह गए, "आज मैं जियो, आज मैं ही सब कुछ है।"
हम तो मुर्ख उनकी बात समझने में थोड़ी उम्र बीत गई।
कोई बात नहीं, जो बचा वक्त है इस ज्ञान में जिएंगे।
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